Suhagraat Me Meri Khatarnak Chudai

सुहागरात पर बेदर्द तरीके चोदा मुझे

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मेरा नाम मोनिका है. आज फर्स्ट टाइम आप लोगो को अपनी सुहागरात की चुदाई स्टोरी सुना रही हूँ. कई दिन से मैं लिखने की सोच रही थी. अगर मेरे से कोई गलती हो तो माफ़ कर देना. मै अभी अभी जवान हुई हूँ. मैं एक अमीर घराने से हूँ. मेरे पापा अमेरिका में डॉक्टर हैं.



मै बहुत ही गोरी हूँ. लड़के मुझे देखते ही फ़िदा हो जाते है. मेरा बदन बहुत ही रसीला है. मेरे लिप्स तो एकदम गुलाब है. चूंचिया तो खरबूजे की तरह बड़ी बड़ी है. मेरी चूत भी बहुत लाजबाब है. इसका रस अभी तक बहुत कम ही लोगो को नसीब हुआ है.


पूरा रस मैंने अपने होने वाले हसबैंड के लिए बचा कर रखा था. मेरी उम्र भी अब शादी की हो चुकी थी. मेरे सैयां जी के साथ सुहागरात का अवसर मुझे मिलने वाला था. मैं बहुत ही खुश थी. वो रात मुझे आज तक नहीं भूली जिस रात सैयां जी ने मेरा पहली बार काम लगाया था.



दोस्तों ये बात 2019 की है. जो की आज के 4 साल पहले की है. मेरे घर वाले मेरी शादी ढूंढ रहे थे. मै भी हर लड़की की तरह ख्वाब को सजा कर रखा था. अपने होंने वाले सैयां जी के साथ. फिर वो समय आया जब मेरी शादी तय हो गई. मेरा होने वाला हसबैंड किसी हीरो की तरह खूबसूरत था.



उसकी पर्सनालिटी पर तो मै फोटो में ही देख कर फ़िदा हो चुकी थी. मैं तो उसे पाकर फूली नहीं समा रही थी. उसका घराना भी बहुत ऊँचा था. उसके पापा और मेरे पापा दोनों ही लोग अमेरिका में रहते थे. वही उनकी दोस्ती हुई और रिश्तेदारी में बदल गईं.



अब मेरी चूत का रिश्ता विक्रम के लंड से हो गया था. हमारी शादी बड़ी धूम धाम से हुई. सुबह मै उनके घर विदा होकर आ गईं. सासू माँ ने और अन्य मेहमानों ने मेरा भव्य स्वागत किया. मै बहुत ही खुश थी. आज मैं चुदने वाली थी. मुझे आज जबरदस्त लंड मिलेगा. मै उसे खाने को बेकरार हो रही थी.

फिर वो रात भी आ गयी. जिसका हर चूत को इंतजार होता है. जिस रात बीबी को लंड का दर्शन होता है. मै सज धज के अपने रूम में बैठी थी. मैं सुहागरात की सेज पर परियो सी सजी बैठी थी. अपने सपनों के राजकुमार का इंतजार कर रही थी.



विक्रम आए और मेरे पास आकर मुझसे ज़माने भर की बात करने लगे. बातो ही बातो में वो रोमांटिक होने लगे. लेकिन मुझे तो इंतजार था कि वो कब अपना लण्ड मुझे दिखाएं. मगर मैं कैसे उनसे कहूँ की मुझे चुदने की बेचैनी हो रही है. मैंने बहुत देर तक सोचा की क्या करूँ.



अचानक मैंने एक आईडिया सोचा और धीरे-धीरे अपने गहने उतारने शुरू किए और अपनी साडी का पल्लू नीचे खिसका कर सीने से हटा दिया. ऐसा करते ही विक्रम मेरी तरफ आकर्षित होने लगे. मेरे सफ़ेद बड़े-बड़े खरबूजे देख कर उनकी आँखे फटी की फटी रह गई.



बिना पलक झपकाये मेरी चूंचियो को ताड़े जा रहे थे. उन्होंने मुझे बिना कुछ कहे उठा कर अपनी गोद में घसीटा और मेरी होंठो से अपने होंठ को चिपका कर मेरी सारी लिपस्टिक छुड़ा डाली. मेरे होंठो के लिप लाइनर को चूस लिया. अब मेरी देसी लुक उनसे भी देखी नहीं जा रही थी.



मै अपना होश खो बैठी थी. मैं भी पागल सी हो गई और अपने हाथ उनके पूरे शरीर पर फिराने लगी. विक्रम ने कब एक एक करके सारे कपड़े निकाल दिए मुझे तो पता भी नहीं चला कि उन्होंने कब का मुझे नंगी कर दिया था. मैं तो उनके होंठों में ही गुम थी कि अचानक से एक ‘चटाक..’ से मेरे गांड में चोट सी महसूस हुई. मै चौंक गई.



मैंने सकपका कर उनके होंठ छोड़ दिए और उनकी तरफ बुरी निगाहों से देखा.. तो वो मुस्कुरा रहे थे, बोले- ” क्या करूं मोनिका आदत से मजबूर हूँ. मुझे तुम्हारी गांड बहुत ही जबरदस्त लगी तो मार दिया. मुझे सेक्स करते समय कुछ भी होश नहीं रहता. मै क्या कर रहा हूँ. इस बात का मुझे पता ही नहीं चलता.


मैंने भी मुस्कुरा दिया और कहा- कोई बात नही. मैं भी तुम्हारी तरह हूँ. मुझे भी कुछ होश नहीं रहता” मेरी गांड में कुछ लंबा मोटा सा महसूस हुआ. मैंने अपने ऊपर ध्यान दिया तो पता चला कि मैं उनके ऊपर नंगी बैठी हूँ. उनका लंड ही मेरी गांड में चुभ रहा था. मै उनकी गर्दन पर अपना हाथ टिका कर बैठी हुई थी.



मैं पूरी नंगी अपने हसबैंडदेव विक्रम की गोद में किसी बच्चे की तरह बैठी हुई थी. उन्होंने कुरता पायजामा अभी तक पहन रखा था. उनके कसरती बदन की मजबूती बाहर से ही महसूस हो रही थी. मगर उनका लण्ड देखने की चाहत अभी बरक़रार थी.



हम दोनों खूब सेक्सी-सेक्सी बाते करने लगे. वो मेरी चूंचियो के निप्पल को पकड़ पकड़ कर खीचते हुए मुझे गर्म कर रहे थे. मै“……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की सिकरिया भर रही थी. मेरी पेट खींचते ही सिकुड़ जाती. मेरा दिल धक धक कर रहा था. साँसे तेज होने लगी.



मैं उनकी गोद से उतरने ही वाली थी कि उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और बोले- “मोनिका !! तुम मुझे एकदम देसी गाय की तरह लगती हो. एकदम मासूम सी चाहे जहाँ हाथ लगाओ. कोई विरोध नहीं करती” मैंने भी कहा- “और तुम मुझे देसी साँड़ के जैसे लग रहे हो. पीछे पड़े हो. हर पल मेरे गुप्तांगों को ही छू कर मजा ले रहे हो” विक्रम हंस दिए.



उन्होंने मुझे कस के जकड लिया. मुझे चिपकाते हुए फिर एक बार होंठो को चूसने लगे. इतना जोश तो मैंने पहले कभी किसी में नही देखा था. जोशीले होकर होंठो को ही काटने लगे. मै तड़पती हुई “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” की मदमस्त आवाज निकाल रही थी.



धीरे धीरे उनके होंठ मेरी शरीर के नीचे के अंगों की तरफ बढ़ने लगे. वो मेरी चूचियों को पकड़ कर मींजने और सहलाने लगे. उन्होंने अपना मुह मेरी गोरी गोरी चूंचियो के काले काले निप्पल पर लगा दिया. विक्रम बछड़े की तरह निप्पल को खींच खींच कर मेरा दूध पी रहे थे.


कुछ देर तक पीने के बाद मुझे अपनी गोद से उतार कर बिस्तर पर ही खड़े होकर अपना कुरता उतारने लगे. फिर बनियान और पायजामा उतार कर बोले- “लो जी अब तुम्हारी बारी आ गई”. मैं उनके बड़े से मोटे लंड को देख कर डर गई. मेरा सर उनकी जाँघों के पास था. विक्रम अपना लंड चूसने और सहला कर मुठ मारने को कह रहे थे.



मैं बोली- “आज नहीं. ये सब कल से किया जायेगा”.



उन्होंने बिना कुछ कहे मेरा सर पकड़ कर अपने लण्ड पर अंडरवियर के ऊपर से ही रगड़ना चालू कर दिया. बहुत ही जोश में दिख रहे थे. मेरे दिमाग में अजीब अजीब हलचल होने लगी. मैं भी मदहोश सी होने लगी. मैंने उनका अंडरवियर पकड़ कर नीचे किया तो मेरे होश उड़ गए.



बाप रे इतना मोटा काला लण्ड करीब 5 इंच का था. खड़ा होता तो कितना बड़ा हो जाता यही सोचकर मेरा दिमाग खराब हो रहा था. मेरे हसबैंडर और मेरा दोनों का रंग एकदम गोरा है. मगर पता नहीं क्यूँ उनका लण्ड एकदम भुजंग काला था.



मैं उनका लौड़ा देख कर हल्के से चिल्ला पड़ी- हे भगवान् ये क्या है? इतना बड़ा लंड तो किसी का जल्दी खड़ा होने पर भी नहीं होता. विक्रम मन ही मन खुश हो रहे थे. वो हंसे मगर बोले कुछ नहीं और मेरा सर पकड़ कर अपने लंड को रगड़ने लगे. मैंने जोर लगाने की कोशिश की मगर वो ज्यादा ताकतवर थे.



मेरे होंठ न चाहते हुए भी उनके काले लंड पर घुम रहे थे. कुछ ही देर मे मै विरोध करते करते थक गई थी. फिर मुझे पता नहीं क्यों वो काला साँप जैसा लंड बहुत ही मेरे मन को भाने लगा. कुछ देर बाद मुझे भी अच्छा लगने लगा, मैंने भी जोर लगाना बंद कर दिया.



तभी विक्रम ने मेरे बालो की चोटी को जोर से खींचा तो मेरी मुह से आह निकलते ही मेरा मुँह खुल गया. जैसे ही मेरा मुँह खुला वैसे ही उन्होंने अपना लण्ड अन्दर करके मे चुसाना शुरू कर दिया. मुझे उनका लंड मुह में रख कर बहुत बुरा लग रहा था.



मुझे लगने लगा की उलटी हो जायेगी. मेरा पूरा मुँह उनके लंड से भर गया. तभी विक्रम के लण्ड ने अपना रूप बदलना शुरू कर दिया. उसका साइज़ बढ़ने लगा. मेरी छोटी सी मुह में उनका बड़ा लंड बड़ा होकर मुझे तड़पाने लगा. मुझे लगा कि मेरा मुँह फट जाएगा.



मैं छटपटा रही थी. हाथ-पांव पटकने लगी. मगर उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा. वो मेरी तरफ ध्यान ही नही दे रहे थे.अब मुझे साफ-साफ महसूस हुआ कि उनका लण्ड मेरे गले से होता हुआ सीने तक चला गया है. मेरी आँखों से आंसुओं नदी बह पड़ी. मैं उनकी जाँघों पर मर रही थी. नाखून गड़ा रही थी.



मगर उन पर कोई असर न हुआ. वो बेदर्दी मुझे दर्द देकर मार ही डालेगा. मेरा सांस लेना दुष्वार हो गया. वो मेरा सर दबाये हुए थे. मै कुछ बोल भी नहीं सकती थी. मैंने हाथ जोड़ लिए और उनसे लण्ड निकालने के लिए बड़ी ही नम्रता वाली नजरों से देखा. मेरी आँखों के आगे अब तक अँधेरा छाने लगा था. वो अचानक मुझे छोड़ दिया. बैठ कर उन्होंने मेरी गांड पर जमकर एक तमाचा मारा.



मै उछल पड़ी. वो बोले- “क्यों कैसा लगा”.



मै रो रही थीं. कहने लगे- “अब मानोगी न मेरी बात”.



मैंने अपना सर हिला दिया. मैं बिस्तर पर धड़ाम से गिर पड़ी. मेरा दिमाग ही काम नहीं कर रहा था, मैं दमे के मरीज की तरह हांफ रही थी. इतने में हसबैंड बोले- “अब तू पूरी तरह से गाय लग रही है” वो मेरे दोनों हाथ फैला कर उनके ऊपर घुटने रख कर मेरे सीने पर बैठ गए. कहने लगे इसे अब चाट. जैसे तू गाय अपने बछड़े को चाटती है. चाट साली चाट….



अब मेरा दिमाग कुछ समझने के काबिल हुआ था. तो उनका सांडो वाला लंड देख कर मेरी आँखें चौंधिया गईं. कही मै सपना तो नहीं देख रही. मैंने अपने आँखों को मलते हुए उनका लंड देखा. करीब 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा काला लौकी जैसा लण्ड मेरे मुँह पर रखा हुआ था.


मैं लण्ड देख के मेरी सिट्टी पिट्टी गुल थी. मेरे हसबैंड का लण्ड मेरे मुँह पर रखा हुआ था, मैं इतने बड़े लण्ड को देख कर हैरान थी. मेरे हसबैंड बोले- “चाट इसे जल्दी”. मैंने जल्दी से जीभ निकाल कर लण्ड चाटना शुरू कर दिया. वो बोले- “हाँ अब जाकर तू पूरी तरह से गाय बनी है”.



मैं रोती जा रही थी और लंड चाटती जा रही थी, मेरे दोनों हाथ उनके पैरों के नीचे दबे हुए थे. मेरे गोरे गालों पर उनका भारी लंड मुक्के की तरह पड़ रहा था. लगभग पांच मिनट बाद वो उठे और मुझे उठा कर गोद में बिठा लिया. अपने शेव किये चेहरे से मेरी चूंचियो पर मसाज करने लगे.



कही कही की दाढ़ियां मेरी चूंचियो पर चुभ रही थी. उनका लण्ड ठीक मेरी चूत के नीचे था. उन्होंने मेरी दोनों टांगो को खोलकर जोर का झटका मारा. मै उछल पड़ी. जोर जोर से “आआआअ ह्हह् हह …..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” चिल्लाने लगी. उनके लंड का टोपा मेरी चूत में जाकर फंस गया.



वो और भी धक्का मार मार कर मेरी चूत में डाल डाल कर निकालने लगे. मै दर्द से तड़प रही थी. लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. वो मेरी चूत की फडाई में लगे हुए थे. मुझे लग रहा था. किसी ने लोहे का मोटा रॉड गर्म करके मेरी चूत में डाल दिया हो.



मै भी चूत की दर्द को भूल कर चुदाई करवा रही थी. अचानक उनका मोटा काला लंड मेरी चूत में हलचल मचाने लगा. वो मुझे किसी कुत्ते की तरह जल्दी जल्दी चोदने लगे. सैयां जी की ट्रेन ने स्पीड पकड़ ली थी. वो ब्रेक मारने का नाम ही नहीं ले रहे थे.



उनकी स्पीड की रगड़ से मै बहुत परेशान हो गई थी. मैं दर्द से “उ उ उ उ उ……अ अ अ अ अ आ आ आ आ… सी सी सी सी….. ऊँ— ऊँ… ऊँ….” की आवाज के साथ अपनी चूत फड़वा रही थी. मेरी गाड़ पर मार मार कर मुझे भी जोश दिला रहे थे. मेरी चूत का दर्द धीरे धीरे कम होने लगा. मै उसे महसूस करने लगी.



अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा. मै भी अपनी चूत को उठा कर चुदवाने लगी. वो एंह…एंह करके मेरी चूत में अपना लंड हचक हचक कर पेल रहे थे. इतनी जोर की चुदाई ने तो मेरी जान ही निकाल दी. मुझे उसका लंड अब अच्छा लगने लगा. मैं उस लंड को खाकर मन ही मन खुश होने लगी. उसने अपने बल का प्रयोग करके मुझे अपने गोद में उठाकर चोदने लगा.


मै भी उसका गला पकड कर उछल उछल कर चुदवा रही थी. वो मेरी गांड पर हाथ मार मार कर मुझे उछाल उछाल कर चोद रहे थे. कुछ देर बाद लंड की रगड़ मेरी चूत न सह सकी और अपना सफ़ेद मलाई निकाल दिया. मै झड़ गई. वो मेरी चूत को मलाई के साथ ही चोदने लगे. कुछ देर में उन्होंने मुझसे मेरी गांड चोदने को कहा. मै डर से हाँ करके बैठ गई. उन्होंने मुझे अपने खड़े लंड को गांड में डालकर उसपर ऊपर नीचे होने को कहा. मैं जैसा वो बोले करने लगी. उनका मोटा घोड़े जैसा काला लंड अपनी गांड में घुसाकर ऊपर नीचे होने लगी.

जोर जोर से “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” की आवाज के साथ मैं अपनी गांड खुद ही चुदवा रही थी. मैंने भी स्पीड बढ़ाई लेकिन इस बार वो भी जबाब दे गए. उनका लंड माल निकालने वाला था. सारा माल विक्रम ने मेरी गांड में ही डाल दिया. मै थक गई थी. मै बिस्तर पर गिर पड़ी. वो हसते हुए मेरे ऊपर पैर रख कर चूंचियो को दबाने लगे. उस दिन की चुदाई ने तो सब यादगार बना दिया. मै आज भी उस लंड से खूब खेलती हूँ. मेरी चूत का अब तक भोसड़ा बन चुका है.

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