baba ne meri didi ko choda

ढोंगी बाबा ने मेरी दीदी को चोदा

baba ne meri didi ko choda,बाबा ने मेरी दीदी को खूब चोदा,ढोंगी बाबा ने मेरी दीदी को चोदा

दीदी के शादी के ४ साल हो गये, पर बच्चा न हुआ| दीदी काफी खूबसूरत थी| किसी राजकुमारी से कम नही लगती थी| उनकी आँखे बड़ी बड़ी थी, भोहे, होंठ, गाल एक एक चीज बड़ी खूबसूरत थी| बाबा मेरी दीदी को पहली बार देखा तो घूर के देखता ही रह गया| फिर वो मुस्काया|बेटी! तुमको ३ महीने तक हर शुक्रवार मेरे पास आना पड़ेगा!! वो बाबा बोला|

संजना दीदी तो वैसे ही नसीब की मारी थी| उनकी सारी सहेलियों के बच्चे हो गये थे| बस उनके ही नहीं हुए थे|ठीक है बाबाजी! दीदी ने कहा| उसने मुझको बाहर रोक दिया और दीदी को लेकर अंदर चला गया| दीदी १ घंटे बाद वापिस आई| पता नहीं वहाँ अंदर क्या हुआ| बाद में जब मैं दीदी को लेकर लौटने लगा तो वो बोली की मेरे भाग्य में संतान सुख नहीं है| बाबा ने कहा की यदि दीदी उनके साथ ३ महीने तक सम्भोग करे तो सायद उनको संतान हो जाए|

Sauteli Bahan Ko Chodkar Land Ko Shant Kiya

अब तुम ही बताओ रचित! मैं क्या करू ?? संजना दीदी ने मुझसे पूछा| मैं मोटरसाइकिल चलाता जा रहा था, सोचता जा रहा था| २ घंटे बाद मैं जब दीदी को लेकर घर पंहुचा तो मैंने कहा की अगर बाबा से सम्बन्ध बनाने से बच्चा हो जाता है तो दीदी कर लो| तुम्हारी सास और दूसरे घर वालों की किच-किच तो नहीं सुननी पड़ेगी | ये गुप्त बात मेरे और दीदी के बीच में थी| अगले शुक्रवार मैं फिर दीदी को लेकर बाबा के पास पंहुचा| दीदी आज हल्की हरी रंग की साडी में थी| बड़ी खिली खिली लग रही थी| बाबा उनको देख के आसक्त हो गया| उसने मुझको बाहर ही रुकने को कह दिया| संजना दीदी को हाथ पकड़ के अंदर ले गया | मैं बाहर कुटिया में इंतजार करने लगा | ये गन्दी कहानी आप gandikahani.in पर पढ़ रहे है। उस बाबा का नाम नरेन्द्र बाबा था| वो खुद को साईं का नया अवतार बताता था | अंदर उसने एक आलिशान कमरा बना रखा था|

वो दीदी को अपने बेडरूम में ले गया| संजना दीदी तो किसी तरह बस बच्चा चाहती थी, इसलिए ये करने को तैयार हो गयी थी| बाबा की बड़ी बड़ी दाढ़ी थी |दीदी को अंदर ले जाते ही उसने दीदी से लिप्टा झपटी शुरू कर दी | उसने दीदी का पल्लू एक ओर सरका दिया| दीदी को उसने अपने बदल में बैठा दिया| उनके होठ चूसने लगा | दीदी ने कुछ नहीं कहा | क्यूंकि दीदी को बच्चा चाहिए था, दीदी के दोनों मस्त मस्त गोल गोल मम्मे देखके बाबा को लालच आ गया |

 baba ne meri didi ko choda

बेटी! इसको खोलो! बाबा बोला| मेरी दीदी तो बड़ी सीधी साधी थी, उन्होंने अपने ब्लोउज के बटन खोल दिए| बाबा ने जल्दी से उनका ब्लौज़ उतार दिया|

भाई की बेटी को चोदने का सपना

बाबा संजना दीदी के मस्त गोल गोल माम्मो को पीने लगा| मेरी दीदी बहुत ही संस्कारवान थी| शादी से पहले उनका किसी लडके से कोई अफ्फैर नही नही था| न ही वो शादी से पहले किसी लडके से चूदी थी| संजना दीदी को इस बाबा ने चुदना कुछ ठीक नहीं लग रहा था| पर इंसान मजबूरी में क्या नहीं करता है| मेरी दीदी भी मजबूर थी | बाबा मेरे बच्चा तो हो जाएगा न ?? दीदी ने बाबा से बेचैन होकर पूछा |

बेटी!! तू भरोसा रख | मेरी इतनी सिद्धि है की जिस औरत को मैंने दिल से प्रसाद दे दिया उनकी कोक हरी हो गयी बाबा बोला| मेरी दीदी उस पाखंडी के जाल में फस गयी| वो दीदी के उजले रंग के दूध पीने लगा| दीदी भी उसको मन बेमन से दूध पिलाने लगी| बच्चे के लिए मेरी दीदी ये सब कर रही थी| बाबा खूब जोर जोर दीदी की बड़ी बड़ी गोलमटोल छातियों का मर्दन और पान कर रहा था| दीदी कुछ नहीं कर रही थी| बाबा की पापी नजरे तो सिर्फ दीदी के यौवन को लूटने पर टिकी थी |

अब दीदी पूरी तरह से उंसकी शैया पर लेट गयी थी, बाबा भी मेरी दीदी के ऊपर पूरा पूरा लेट चूका था| ये गन्दी कहानी आप www.gandikahani.in पर पढ रहे है। फिर उसने अपना केसरिया रंग का कुरता और सफ़ेद धोती उतार दी| बाबा भले ही ५० साल की उम्र का था, पर भक्तों से उसको दूध, दही, सब्जियां ,फल उपहार स्वरुप मिल जाता था | जिसको खा पी के उसने अच्छी बॉडी बना ली थी| उसने अपनी केसरिया रंग की लंगोट भी उतार दी |

बाबा की दाढ़ी के बाल जितने लम्बे थे, उसकी झांटे भी उतनी लम्बी थी| मेरी सती सावित्री जैसे संजना दीदी जो आज तक सिर्फ मेरे जीजा से चूदी थी आज इस पाखंडी बाबा से चुदने वाली थी, वो भी बच्चे पैदा होने के नाम पर | मजबूरी इन्सान से क्या नहीं करवाती है| दीदी की विशाल छातियों को घंटों पीने, चूसने और चबाने के बाद बाबा ने दीदी की साडी निकाल दी| उनका पेटीकोट और पैंटी निकाल पर उनको समपूर्ण नग्न कर दिया| मेरी दीदी जो आज तक हमेशा कपड़े में रही थी, जिनकी सारी दुनिया में कितनी इज्जत थी आज उस २ कौड़ी के बाबा के सामने बिलकुल नंगी खुली हुई थी| दीदी का दिल धड़क भी रहा था की पता नहीं वो बाबा उनके साथ क्या करे |

बाबा ने एक नजर संजना दीदी के मदमस्त भरे हुए बदन को सिर से पाव तक देखा तो बोला आज मस्त चिड़िया हाथ लगी है , वरना अभी तक तो अंधी, लूली, लांगरी ही हाथ लगती थी जिसको चोदने में कोई मजा नही मिलता था बाबा बोला| दीदी का गोरा बदन देखकर वो मस्त हो गया| दीदी का बदन मक्खन से कम नही थी| बदन में मांस ही मांस था| वो बिलकुल जवान थी| बिलकुल चोदने लायक सामान थी | बाबा अब मेरी दीदी की बुर पर आ पंहुचा|

गर्लफ्रेंड की सहेली के साथ सम्भोग

कल की दीदी ने अपनी झांटे बनायीं थी| चूत भरी भरी V के आकार की थी| बाबा तो दीदी की मस्त चूत को निहारता ही रह गया| दीदी बाबा की नियत देख के डर गयी| उन्होंने अपने दोनों जांघे सिकोड़ दी | उनकी मस्त गुलाबी चूत अब जांघों के बीच में कुछ छिप गयी| दीदी सोचने लगी पता नही वो पाखंडी उनके साथ क्या करे| अरे बेटी!! शर्म करोगी तो महाप्रसाद कैसे लोगी?? बच्चा कैसे होगा तुमको?? बाबा बोला और उसने फिर से दीदी की जांघे अब खोल दी| एक बार फिर से दीदी की चूत अब उन पापी के सामने अब खुल गयी| दीदी मजबूर दी| बाबा ने अपनी लम्बी आसाराम बापू जैसे लम्बी दाढ़ी को उपर उठाके उसमे एक गाँठ मार ली| सीठे उसने अपना मुह दीदी की बुर पर लगा दिया, उनकी चूत पीने लगा| संजना दीदी से आँखे बंद कर ली|

बाबा मेरी दीदी की मस्त फूली फूली चूत पीने लगा| ये गन्दी कहानी आप www.gandikahani.in पर पढ रहे है।
दीदी की चूत बड़ी कमसिन और मासूम थी
| बाबा के धीरे धीरे चूत पीने दे दीदी भी अपना आपा को बैठी| अचानक बहनचोद बाबा ने मेरी मासूम दीदी की मासूम चूत में अचानक से अपनी २ उन्ग्लियाँ पेल दी और ऊँगली करने लगा| बाबा!! रहने दो! बड़ा दर्द हो रहा है!! संजना दीदी ने कहा बेटी! कुछ पाने के लिए बहुत कुछ सहना पड़ता
है
, थोडा बर्दास्त करो, तुमको बच्चा जरुर होगा! वो हरामी हलकट पापी बाबा बोला और मजे से मेरी दीदी की मुलायन मखमली चूत में वो कमीना ऊँगली करने लगा|

दीदी तडपने लगी| पर वो हरामी नही रुका| मेरी दीदी की कोई रंडी की तरह उनकी चूत में अपनी २ उँगलियाँ खूब जल्दी जल्दी करने लगा| दोस्तों, दीदी को उस समय बड़ा दर्द हो रहा था, पर बच्चे के लिए वो सब बर्दास्त कर रही थी| बाबा ने जब मेरी दीदी की चूत में ऊँगली कर करके उनको नरम और मुलायम कर लिया तब अब चोदने की योजना बनाने लगा| पर ५० साल के बाबा का लंड धोखा दे गया| खड़ा ही नहीं हुआ उस समय |

श्रव्या की महकती चूत को चोदा

आओ बेटी!! बाबा ने संजना दीदी से अपना लंड चूसने को कहा| दीदी को इस पर बड़ा संकोच हुआ | बेटी! मैं अपनी हर भक्तन को इसी तरह एकांत में मंत्र देता हूँ | तुम अगर मन कर दोगी तो कैसे तुमको महापरसाद मिलगा | संतान तुमको कैसे प्राप्त होगी बाबा ने कुटिल अंदाज में दीदी से कहा| दीदी फिर से उसके झांसे में फस गयी| आखिर दीदी बेमन से आँख बंद करके बाबा का सांड जैसा लंड चूसने लगी| बहुत ही बड़ा , काला और बदसूरत लंड था बाबा का | झांटे तो गुच्छा की गुच्छा थी | बाबा की झांटों में तो दीदी का चेहरा ही छिप गया| वो हरामी बाबा मेरी संस्कारवान पढ़ी लिखी दीदी ने मुखमैथुन मरवाने लगा |

दीदी भी उनका लंड चूसने लगी| कुछ देर बाद उनकी मेहनत रंग लायी| आसाराम बोपू जैसे दुराचारी बाबा का लंड आखिर में खड़ा हो गया| ये चुदाई कहानी आप gandikahani.in पर पढ रहे है। आओ बेटी, भोग लगाऊं तुम्हारा!! बेटी ये मत सोचो की मुझको इसमें कोई मजा मिल रहा है | ये सब तो इश्वर को प्रसन्न करने के लिए है !! मैं आज जो भी तुम्हारे साथ करूँगा वो सीधा इश्वर को पहुचेगा! बब्वा बोला| संजना दीदी उनके सामने दोनों टाँगे खोलकर लेट गयी| बाबा ने अपना काला कलूटा बदसूरत लंड दीदी के गर्म नरम भोसड़े पर रख दिया | दीदी का दिल धड़क उठा| बाबा ने एक जोर का देसी सांड वाला जो धक्का मारा की दीदी की बुर फट गयी| बाबा का लंड अंदर जाकर गढ़ गया| आःह नही !! छोड़ दो बाबा जी!! बहुत दुःख रहा है !! दीदी चिल्ला उठी| बाबा कुटिलता से मुस्कुराने लगा और दीदी शील भंग करने लगा| दीदी मना करती रही, बाबा मेरी दीदी को चोदता, पेलता, खाता, बजाता रहा| दीदी की बुर का भोसदा बन गया |

बाबा हौंक हौंक के दीदी के यौवन को मस्ती से लूटता रहा| संजना दीदी कुछ मिनट के लिए बेहोश हो गयी| वो बेहन्चोद पाखंडी बाबा मेरी मासूम दीदी को किसी रंडी की तरह चोदता रहा| वो दीदी की गुजिया को घर का मॉल समझ के पक पक पेलता रहा| जब दीदी अपनी टांग लगाने लगी तो पाखंडी बाबा ने दीदी की दोनों टांगे हाथ से पकड ली और चौड़ी फैला दी |

अब दीदी की बुर और भी अधिक उभर के सामने ऊपर आ गयी| बाबा मस्ती से उनको चोदता चला गया| पक पक की आवाज दीदी की चूत से आ रही थी, जैसे कोई पटाखा फोड रहा हो| जैसा लोग दिवाली में पटाखा फोड़ते है | बाबा बिना रुके किसी कुत्ते की तरह मेरी मासूम सीधी साधी दीदी की पेलता खाता रहा| फिर वो झड गया| जब उसने अपना लंड निकाला तो दीदी की चूत अब बहुत चौड़ी हो गयी थी, खूब फट गयी थी|

सुनसान जगह पर मेरी दर्दनाक चुदाई

जैसे लग रहा था किसी ने उनको पुरे हफ्ते पेला है| दीदी की चूत में बाबा का माल कुछ अंदर पहुच गया और कुछ बाहर निकल आया| बाबा ने वो माल एक चम्मच में भर लिया और दीदी को परसाद के नाम पर चटा दिया | दीदी को मज़बूरी में चाटना पड़ गया | ४ घंटे बाद दीदी बाबा की कुटिया से बाहर निकली तो वो लंगड़ा-लंगड़ा के चल रही थी| उनकी चूत में बहुत दर्द हो रहा था | रास्ते में संजना दीदी ने मुझे अपनी सारी दास्तान सुनाई| मुझे गुस्सा तो बहुत आया, ये चुदाई कहानी आप https://www.gandikahani.in/ पर पढ रहे हैं |

जी किया की अभी जाकर उस पाखंडी का गला दबा दूँ| पर मैं मजबूर था|मैं अगले शुक्रवार दीदी को लेकर उसके पास फिर आया| इस बार दोस्तों उन हरामी ने मेरी दीदी को पीछे से कुतिया बना के फिर से २ ३ घंटों तक पेला और इस बार उनकी गांड भी मारी| इस तरह वो दुष्ट ३ महीनो तक हर शुक्रवार को मेरी दीदी के यौवन को लूटता रहा | बाद में पता चला की वो पिछले १० सालों से इसी तरह दुखियारी निसंतान औरतों के जिस्म से खेलता था| मेरी दीदी को कोई बच्चा वच्चा नही हुआ| ना ही उनके पाँव भारी हुए | कुछ दिनों बाद उस पापी बाबा ने एक और औरत को अपनी वासना का शिकार बनाया| उसने उसकी रिपोर्ट पुलिस में कर दी| इस समय वो पापी दुराचारी बाबा जेल में है और उसको लम्बी कैद हो गयी है| साले से सबको बेवफूफ़ बना दिया। कैसी लगी मेरी दीदी की चुदाई कहानी

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post