एक साथ छह लंडों
से चुदाई – ट्रेन में
चुदाई की कहानी
प्यारे दोस्तो,
काफ़ी दिनों बाद मैं अपनी
एक कहानी लेकर आई हूं.
आप सभी जानते हैं
कि आजकल लॉकडाउन चल रहा है, तो सब घर में ही
होते हैं. इसलिए adultstories.co.in लिखना मुश्किल था और बाहर से चुदाई भी सम्भव नहीं थी. तो
मैं आज अपनी एक और पुरानी adultstories.co.in ट्रेन में चुदाई की कहानी आप सबके सामने रख रही हूं.
ये बात मेरी शादी
से पहले की है, जब मैं ग्रेजुएशन
कर रही थी.
मेरी आदतों ने
मुझे हॉट रखने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी. मुझे हर महीने में एक अच्छी चुदाई चाहिए
होती थी. कई बार हो भी जाती थी, तो कई बार ऐसे ही
बैठ जाना पड़ता था.
एक बार मैं अपने
कुछ काम से ट्रेन में सफर कर रही थी और मेरे साथ ही एक जवान लौंडा बैठा था. उससे
मेरी अच्छी बातें हो रही थी.
उसका नाम नरेन्द्र
था. वो लड़का ग्रेजुएशन कर रहा था. वो काफी खुले किस्म का था. वो कई बार जोक मारते
मारते कुछ भी बिना शर्म किए बोल जाता था और मैं भी कोई हिचकिचाहट नहीं कर रही थी.
कुछ देर बाद
हमारी ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी. उधर हमारे आस पास बैठे सारे लोग उतर गए. वो लड़का
भी नीचे उतरा और कुछ खाने को ले आया.
वापस आने के बाद
वो मुझसे पूछ रहा था- आप केला खाती हो?
मैं उसकी बात समझ
रही थी कि वो किस केले खाने की बात कर रहा है.
चूंकि मैं भी
उससे खुलने लगी थी, तो मैंने बोल
दिया- जी बिल्कुल … अगर केला ताज़ा और
बड़ा हो, तो मुझे पसन्द
है.
वो बोला- फिर तो
आपको वो केला बहुत पसंद आ सकता है, जो मेरे पास है.
मैं उसकी तरफ
आंखें नचा कर बोली- अच्छा आओ … बताना.
उसने फल निकाले
और एक केला देकर बोला- आप भी न बस … मुझे गलत मत समझो. मैं तो सीधा साधा बालक हूँ.
ये कह कर वो
हंसने लगा.
मैं भी हंसने
लगी.
उसने जो केला
मुझे दिया था, उसे पहले मैंने
हाथ से सहलाया और उस लड़के को देखते हुए मज़े लेते हुए केले को चूस कर खाने लगी.
Kele bechne wale ko diya gand chudwai
मेरी यह हरकत उसे
गर्म कर रही थी. वो अपनी उत्तेजना छिपा रहा था पर उसका केला पैंट से दिख रहा था.
एक मिनट बाद वो
उठ कर बाथरूम में चला गया. मुझे पता था कि वो क्यों गया था.
थोड़ी देर में वो
वापस आया और बैठ गया.
उसकी तरफ देख कर
मैंने अपना सीना फुलाया, तो उसने मेरे दूध
देख कर बोला- मुझे सेब भी बहुत पसन्द हैं.
मैं समझ गयी कि
उसे कौन से सेब पसन्द हैं.
मैंने एक मादक
अंगड़ाई ली और उसकी तरफ देख कर हंसते हुए कहा- सेब बहुत पौष्टिक होते हैं.
उसने कुछ समझ
लिया और मुझे धीरे धीरे टच करना शुरू कर दिया. मैं भी उसे रोक नहीं रही थी.
अगले स्टेशन पर
ट्रेन से कुछ और लोग उतर गए, पर इस बार कोई
नहीं चढ़ा था. अब ट्रेन में आगे की तरफ चार लड़के थे और बीच में हम दोनों ही रह गए
थे.
मैं सो गई,
जब उठी तब देखा कि ऊपर से
मेरा कुर्ता थोड़ा गीला हो गया था. मुझे लगा कि पसीना आ गया होगा.
मैं बाथरूम में
गई और मैंने उसे सूंघा तो पता चला कि नरेन्द्र ने उस पर अपना लंड रस डाला है,
जिसे सूंघ कर मेरे शरीर
में वासना की आंधी चलने लगी थी. मेरी चुत में कुलबुली होने लगी अब मुझे लंड की
बेहद जरूरत होने लगी थी.
मैं बाथरूम में
गई थी, तो मैंने दरवाजा
लगाया नहीं था … क्यों मुझे सूसू
तो करनी नहीं थी. इसलिए बाथरूम का दरवाजा खुला था. मैं अपने मम्मों को मसलते हुए
आह आह … करने लगी.
बाहर नरेन्द्र
खड़ा था. उसने ये सब देख लिया था कि मैंने अपने कुर्ते को सूंघा है. और अपने मम्मे
दबा रही हूँ.
इससे उसे पता चल
गया कि जो आग उसके अन्दर लगी है, वही आग मेरे
अन्दर भी लगी हुई है.
ये सच भी था कि
मैं काम वासना से मदहोश हो गई थी.
थोड़ी देर में मैं
बाहर आयी और अपनी सीट पर आकर बैठी, तो मैंने देखा कि
नरेन्द्र पेन्ट के ऊपर से ही अपना लंड सहला रहा था.
मैं कुछ नहीं
बोली.
उसने मुझसे धीरे
से बोला- आपकी गर्मी की आग यहां तक आ रही है.
मैंने पूछा- कैसी
गर्मी?
उसने एक झटके में
ही अपने लंड को बाहर निकाल लिया और बोला कि आपकी उस गर्मी को मेरा ये लंड अपने
पानी से ठंडा कर सकता है.
मैं उसका लंड
देखने लगी और कुछ नहीं बोली.
वो खड़ा होकर अपने
लंड को मेरी आंखों के पास ले आया. मैं खुद को रोकने की नाकाम कोशिश करती रही. मगर
मुझे रहा नहीं गया और मैंने कुछ पल में ही उसके लंड को लपक लिया.
उसका लंड 6 से 7 इंच लम्बा काला मोटा
तगड़ा लंड एकदम ऐसे तन्नाया हुआ था … जैसे उसे मेरी चूत का ही इंतजार हो.
मैंने लंड पकड़ा
तो वो मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरे मम्मे दबाने लगा. मैंने भी बड़े जोश से उसके लंड
को मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
उतनी देर में वो
लड़के हमारे पास से गुजरे जो पीछे बैठे थे. वो ये सब खेल देखते हुए निकले तो हम
दोनों ने अपने आप को ठीक कर लिया.
नरेन्द्र ने मेरे
मुँह से लंड निकाल कर खुद को खिड़की की तरफ घुमा लिया. मगर उन लड़कों को हमारी लाइव
ब्लू-फिल्म तो दिख ही चुकी थी.
थोड़ी देर में वे
हमारे पास आए और एक बोला- अरे वाह क्या चल रहा था … जरा हमको भी तो मजा लेने दो.
हम दोनों कुछ
नहीं बोले. नरेन्द्र की शायद गांड फट गई थी. लेकिन मुझे तो लंड ही लंड दिख रहे थे.
मैंने हंस कर
कहा- क्या देखना चाहते हो?
उसमें से एक लड़के
ने कहा- हमें संगम देखना है.
पापा ने अपनी बेटी को प्रेग्नेंट कर दिया
मैंने रंडी की
तरह कहा- संगम देखना है कि डुबकी भी लगाना है?
वो बोला- डुबकी
भी लगाने का मन तो है … यदि आपको कोई
ऐतराज ना हो तो हम भी बहती नदी में चप्पू चला लेंगे.
मैंने कहा- चप्पू
देखने से पता चलेगा कि नदी में चलने लायक हैं भी या यूं ही डुप डुप करके नदी को
गंदा करके रह जाएंगे.
वो समझ गया कि
लंड की साइज़ दिखाने की बात हो रही है.
उसने साफ़ कह दिया
कि मैडम एक बार लंड देख लोगी, तो चुत में लिए
बिना नहीं रहोगी.
इतनी खुली बात के
बाद ये तय हुआ कि जिसका लंड लंबा होगा, वो मेरी चुत पहले चोदेगा.
सब मान गए. वो सब
मस्त हट्टे कट्टे ताज़े माल दिख रहे थे और सभी स्टूडेंट्स थे.
फिर उन सभी ने
जल्दी से ट्रेन के इस डिब्बे के सारे दरवाजे खिड़कियों को बंद कर दिया. उस डिब्बे
में अब हम छह लोग ही रह गए थे.
इसके बाद नरेन्द्र
की तरह सबने अपने लंड निकाले और मेरे सामने पेश कर दिए. उनके लंड अभी पूरी तरह से
खड़े नहीं थे. मेरे हाथ फेरने पर सबके लौड़े खड़े हो गए.
उन सभी लौड़ों में
से एक लड़के का लंड सबसे लंबा और मोटा था. उसका नाम नरपत था. मैं लपक कर नरपत के
लंड को चूसने लगी.
उसने भी मेरे
मुँह की चुदाई में मस्ती लेनी शुरू कर दी. कुछ देर की लंड चुसाई के बाद उसके लंड
की मलाई बह निकली, जिससे मेरा पूरा
मुँह भर गया और बाहर गिरने लगा. मैंने उंगलियों से उठा उठा कर उसका सारा लंड रस पी
लिया.
इसके बाद उसने
मुझे सीट पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया. मैंने उसे रोका और अपने बैग से कंडोम का
पैकेट से एक छतरी निकाल कर उसके लंड पर पहना दी.
नन्ही – नन्ही कच्ची उम्र की बच्चियाँ
लंड पर चोला चढ़ने
के बाद नरपत ने मेरी टांगें खोल दीं और मेरी चूत पर लंड का सुपारा रगड़ दिया. मैंने
नीचे से गांड उठाई तो उसने एक करारे धक्के के साथ पूरा लंड चुत में घुसा दिया.
उसका लंड मेरी चुत में अन्दर तक चला गया था.
मुझे तो मानो
तरन्नुम मिल गई थी. अब वो ते तेज धक्कों के साथ मेरी चुत पेले जा रहा था.
मैं उसे हल्के
में ले रही थी, मगर वो बड़ा वाला
चोदू निकला. उसने मेरी चुत के चिथड़े उड़ाने शुरू कर दिए थे. कुछ ही देर में मेरी
बहुत बुरी हालात होने लगी थी, पर मैं भी घाट
घाट के लंड खाए बैठी थी, बिल्कुल रंडी की
तरह उछल उछल कर उसके लंड से चुद रही थी.
फिर उसने मुझे
अपने ऊपर ले लिया और मेरी गांड पकड़ कर मुझे ऊपर नीचे करने लगा. ट्रेन की छुक पुक
छुक पुक … भी चुदाई में
पूरा साथ दे रही थी. मुझे बहुत मजा आ रहा था.
हालांकि नरेन्द्र
को बहुत बुरा लग रहा था. लेकिन मैंने उससे कहा- तुम भी अपना लंड हिला कर खड़ा कर लो,
अगला नम्बर तुम्हारा ही
है.
कुछ देर में नरपत
झड़ गया और फ्री हो गया. उसके पास सिगरेट थी. वो सिगरेट जला कर पीने लगा, तो मैंने भी उसके होंठ से
सिगरेट ले कर धुंआ निकाला और थोड़ा रेस्ट किया.
फिर मैंने नरेन्द्र
की तरफ देखा और उसे आ जाने का इशारा किया.
तो वो मुझ पर टूट
पड़ा. उसने मुझे सीधा किया, मेरी टांगें चौड़ी
कीं और अपने लंड को बिना कंडोम के चुत में घुसा दिया. मैं भी उसके लंड के मज़े लेने
लगी. वो भी तेज रफ्तार से लंड पेल रहा था.
मैं भी जोश में
थी, पर तभी सबने उसे
हटा दिया.
उसने कारण पूछा,
तो एक ने कहा- साले,
पहले कंडोम तो लगा ले.
उसने झट से लंड
पर कंडोम लगाया और मेरे ऊपर फिर से चढ़ गया. वो बड़े ही दमदार तरीके से मुझे चोद रहा
था.
मैं मस्ती से
आवाज कर रही थी- आहह उहह नरेन्द्र मज़ा आ रहा है … हां अन्दर बाहर करते रहो.
उसके लंड के मैं
पूरे मज़े ले रही थी. अब तक नरेन्द्र मेरी चुत के झड़ने के इंतज़ार में था, पर मैं एक बार झड़ चुकी थी
तो मुझे अभी जल्दी नहीं थी. मगर नरेन्द्र जल्दी जल्दी चोदने के चक्कर में झड़ गया.
उसके हटते ही
मैंने एक और को चढ़ने का इशारा किया. उसका नाम आशीष था. वो कंडोम लगा कर मेरे ऊपर आ
गया.
उसका लंड जब मेरी
चुत में गया, तो मुझे महसूस
हुआ कि उन सभी में शायद आशीष का लंड सबसे मोटा था.
मैंने उसके लंड
को अन्दर लेकर गांड उछल कर उससे धक्का दिलवाया. आशीष का ये पहली बार था, इसलिए उसके लंड का तागा
टूटने के कारण उसे शुरू में थोड़ा दर्द हुआ. इसलिए वो धीरे धीरे धक्के लगा रहा था.
मैं भी बड़े मजे ले रही थी.
अचानक से उसका
दर्द मजे में बदल गया और उसने स्पीड फ़ास्ट कर दी. उसके लंड की स्पीड एकदम राजधानी
एक्सप्रेस जैसी थी.
एक बार को तो मैं
भी चिल्ला उठी.
मगर तेजी करने
वालों का हश्र मुझे मालूम था. वही हुआ … थोड़ी ही देर मैं वो भी झड़ गया.
अब रात गहरा चुकी
थी.
मैं भी झड़ गई थी.
इसलिए चुदाई की फिल्म की शूटिंग रोक दी गई.
कुछ देर बाद मैं
फिर से गर्म हो गई. बाकी के बचे तीन दो लड़कों ने भी बारी बारी से मेरी चुत चुदाई
के पूरे मज़े लिए. काफी थकान हो गई थी. इसलिए सब थक कर बैठ गए थे. मैं अपनी चुत में
जलन के कारण उस पर बोतल से पानी डाल कर उसे शांत कर रही थी.
तभी नरेन्द्र उठा
और बोला कि अगर तेरे नाम की दो बार मुठ नहीं मारी होती, तो आज मैं तुझे पूरे मज़े देता.
मैं बोली- कोई
बात नहीं … फिर कभी चोद
लेना. मुझे तो अभी तुम पांचों के लंड एक साथ लेने की हिम्मत है.
हमारी बातों से
सबकी आंखें खुल गईं.
नरपत ने मेरी बात
सुन ली थी. उसने मुझसे कहा- तो चलो सपना रानी अब तुम्हारी सब मिल कर चुदाई करते
हैं.
मैंने ओके कह
दिया. अब वो पांचों लड़के एक साथ मुझ पर चढ़ गए. मेरी चुत में नरपत का लंड, गांड में जीतू का घुसा था,
दोनों हाथों में और मुँह
में आशीष और नरेन्द्र के लंड थे. एक का लंड मेरे चूचों पर धप धप कर रहा था,
जिसे मैं रुक रुक कर चूस
रही थी. इस तरह से वे पांचों लंड मुझे रांड की तरह चोद रहे थे. गालियों के साथ
मेरी चटनी बंट रही थी.
‘साली रंडी …
तेरी चुत का भोसड़ा बना
दूँ … माँ की लौड़ी …
तेरी गांड मैं डंडा घुसा
दूँ..’
मुझे उनकी
गालियाँ सुनकर बड़ा मजा आ रहा था.
उनकी ये जबरदस्त
चुदाई और गालियां मुझे बहुत सुकून दे रही थीं. वो सब अपनी जगह बदल बदल कर मुझे चोद
रहे थे. मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी. ट्रेन का वो खाली डिब्बा अब मेरी चुदाई
का दर्शक था.
कुछ देर में एक
एक करके सब मुझ पर झड़ने लगे.
लेकिन पीछे से आए
टीटी ने हमने देख लिया. वो पता नहीं कैसे डिब्बे में दाखिल हो गया था.
पांच लंड से
चुदने के बाद अब मुझे जरा भी होश नहीं बचा था. मैं उन सभी की जबरदस्त चुदाई से
मदहोश पड़ी थी.
टीटी ने सख्ती
दिखा कर मुझे अपने साथ ले जाने की धमकी दी. सबने कपड़े पहने ओर बहुत रिक्वेस्ट की,
पर वो नहीं माना.
मेरे स्टेशन आने
पर वो मुझे अपने साथ अपने ऑफिस में ले गया.
काफी देर उसने
मुझे जेल के नाम से डराया. मैं समझ गई कि साले को चुत चाहिए है.
वही हुआ.
उसने अंत में
बोला- बचने का एक ही रास्ता है.
मैंने कहा कि
मुझे बिना सुने मंजूर है.
वो हंस दिया और
उसने मुझसे अपने क्वार्टर पर चलने का बोला.
मैं उसके साथ चली
गई.
उसने कमरे में
लाकर दरवाजे बंद किए और अपना सांप जैसा लंड निकाला. उसका लंड एकदम गोरा था. उन सब
लड़कों से एकदम अलग लंड था. उसके लंड की साइज भी मस्त थी.
मैं बोली- मैं
अभी बहुत थक गई हूं … मुझे घर जाने दो.
कल मैं आपके यहां आ जाऊँगी.
पर वो नहीं माना …
उसने अपना सांप मेरे मुँह
में दे दिया. मैं उसका लंड चूसने लगी. उसके लंड से मेरा पूरा मुँह भर रहा था. मैं
मस्ती से लंड चूस रही थी.
फिर उसने मुझे
नंगी किया और लिटा कर मेरी चुत पर लंड रख कर एक तेज धक्का दे दिया. एक ही धक्के
में उसने अपना पूरा लंड चुत में घुसा दिया.
वो चुत में लंड
के धक्के देता रहा.
मेरे हाथ उसके
कंधों पर जमे हुए थे और वो मुझे गाली देते हुए चोदता रहा ‘आह … साली रंडी चुद.’
वो चुदाई करता
रहा. मैं भी ‘उहह उनह अहह.’
किए जा रही थी. अब मैं
उसे चूमने लगी थी, वो भी पूरे जोश
से मुझे चोद रहा था. उसने कंडोम नहीं पहना था और मेरी चूत में ही झड़ गया.
कुछ देर मैं वो
खड़ा हो गया. उसने मुझे अपने ऊपर लिया और फकाफक चोदने लगा.
शाम तक उसने मुझे
चोदा फिर जाने दिया. उसके लंड के पानी चुत में गिर जाने से मुझे चिंता हो रही थी.
दवा खाना मुझे पसंद नहीं था.
तीन दिन बाद जब
मेरे पीरियड्स आए, तो चैन पड़ा. अब
वो मेरे शहर का ही था, तो मैं हर रोज़
उससे कंडोम लगवा कर चुदने लगी. कभी कभी वो बिना कंडोम के मुझे चोदता तो लंड का
पानी मेरे मुँह में या मेरे मम्मों पर छोड़ देता था.