देवर के साथ भाभी की सुहागरात
देवर भाभी की चुदाई , देवर ने चोदा , प्यार से चोद दिया , मैं देवर से चुदवाई , बार - बार चुदने लगी , देवर का लंड चूसा , चूत भी चटवाई.
मेरा निकाह हो चुका था। अभी दो दिन पहले ही मैंने अपनी सुहागरात मनाई थी। आज तीसरे दिन मेरा देवर मेरे सामने आया। उस समय कमरे में कोई नहीं था। मैं थी और मेरा देवर तारिक़। वह लगभग २२ साल का पूरा मर्द हो चुका था। गोरा चिट्टा हैंडसम और लंबा चौड़ा था। उसे देख कर मेरे नियत ख़राब हो गई।
लण्ड देख कर तो मैं ललचा ही गई थी. मेरे मुंह से लार टपकने लगी थी और मेरी जबान लण्ड चाटने के लिए लपलपाने लगी। पर मैं थोड़ा नखरा करने लगी।
मैंने कहा - तुम भोसड़ी के बड़े बेशरम हो ? एक पराई बीवी के सामने इस तरह नंगे होकर खड़े होने में तुम्हे कोई शर्म नहीं आती ? अपना खड़ा लण्ड दिखाने में तुम्हे लाज नहीं आती ?
वह बोला - अरे भाभी जान अब नखरे न करो। और भी लोग तेरे सामने नंगे खड़े होतें हैं। तुम भी अपने कुनबे के ग़ैर मर्दों के आगे नंगी होती हो ? मैं तो कुनबे का ही लड़का हूँ। मेरे आगे नंगी होने में तुम्हे तो कोई शर्म नहीं आना चाहिए। अभी तो मैं ही नंगा हूँ। मैं अभी तुझे भी नंगी कर दूंगा।
मैंने कहा - अरे यार तुम तो मेरे ऊपर खामखां ही चढ़े ही जा रहे हो ? मैं कोई ऐसी वैसी भाभी नहीं हूँ।
वह बोला - तुम जैसी भाभी हो मुझे मालूम है । तुम बहुत खूबसूरत हो, बड़ी बड़ी आँखों वाली हो, बड़ी बड़ी चूँचियों वाली हो, मस्त गांड और बड़े बड़े चूतड़ वाली हो, बड़ी बड़ी जाँघों वाली हो और उसके बीच एक मस्तानी चूत वाली हो ? मैं जानता हूँ की तुम लण्ड बहुत अच्छी तरह पीती हो। मेरी बड़ी भाभी भी मेरा लण्ड पीती हैं पर तुमसे अच्छा नहीं पीती। ये मुझे किसी ने बताया है। प्लीज पकड़ कर पी लो न मेरा लण्ड। देखो न कैसे अपना सर हिला हिला कर तुम्हे मना रहा है मेरा लण्ड।
उसकी प्यारी प्यारी बातों ने मुझे मजबूर कर दिया और मैंने हाथ बढ़ाकर पकड़ ही लिया उसका लण्ड। लंडमेरे हाथ में आते ही छलांगें मारने लगा। साला और बढ़ भी गया और मोटा भी हो गया एकदम से। वह बोला देखा भाभी जान तेरे हाथ में कितना जादू है। मेरा लण्ड इतना बड़ा और मोटा कभी नहीं हुआ जितना तेरे हाथ में जाकर हो गया। मैं उसके लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी और वह मुझे नंगी करने लगा। मेरी चूँचियाँ दबाने लगा और मेरी चूत सहलाने लगा। फिर मैंने उसे चित लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई।
अपनी चूत उसके मुंह पर रख दिया और कहा लो देवर जी पहले मेरी चूत चाटो। अपनी जबान पूरी घुसेड़ दो मेरी चूत में और मैं झुक कर उसका लंडचाट्ने लगी। हम दोनों 69 बन गए। सच में मुझे ऐसे में बड़ा मज़ा आने लगा। वह बोला भाभी जजान तेरी चूत बहुत स्वादिस्ट है। ऐसी चूत अपने कुनबे में किसी की नहीं है। मैंने पूंछा क्या तुम कुनबे की सबकी चूत चाट चुके हो। वह बोला हां भाभी जान मैं सबकी चूत चाट चूका हूँ और आज भी चाटता हूँ। सब मेरा लण्ड चाटती हैं। पीतीं हैं मेरा लण्ड।
इतने में किसी ने कहा भाभी जान लो मेरा भी लण्ड पियो ? मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वह अनजान लड़का था एकदम नंगा खड़ा था उसका बिना झांट का लण्ड भी खड़ा था। लण्ड का सुपाड़ा एकदम तोप का गोला लग रहा था। वह लण्ड तारिक़ के लण्ड से बेहतर लगा मुझे। मैं कुछ बोलती उसके पहले ही तारिक़ बोला भाभी जान ये मेरा दोस्त फहीम है। हम दोनों मिलकर चुदाई करतें हैं। चाहे किसी की लड़की हो, चाहे किसी की माँ हो, चाहे किसी की बेटी या बहू हो, चाहे किसी की सास या नन्द हो देवरानी या जेठानी हो हम दोनों मिलकर चोदेतें हैं। मैंने ही इसे बुलाया है भाभी जान। इसकी भाभी जान मेरा लण्ड पीती है इसलिए मैं चाहता हूँ की तुम भी इसका भी लण्ड पियो।
खीरे जैसा मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत में उतर गया
मैंने पूंछा अच्छा ये बताओ की तेरी बीवी कौन चोदता है ? वह बोला मेरी बीवी फहीम चोदता है, इसके दोस्त भी चोदते हैं मेरी बीवी। मैं इसकी बीवी चोदता हूँ और मेरे दोस्त भी इसकी बीवी चोदतें हैं। इसीलिए हमारी इसकी पक्की दोस्ती है। मैंने दूसरे हाथ से फहीम का लण्ड पकड़ लिया। मैंने दोनों लंड अपने मुंह के पास ले आयी और बारी बारी से दोनों के सुपाड़े चाटने लगी। मुझे इतनी जल्दी दो दो लण्ड का मज़ा मिलेगा यह मैंने कभी सोंचा नहीं था। हम तीनो पूरी तरह नंगे थे। मैंने तारिक़ को जमीन पर लिटा दिया और फहीम को भी लिटा दिया। दोनों आमने सामने लेटे। यानी दोनों के लण्ड आमने सामने हो गये। मैंने उनको और नजदीक आने को कहा। फिर दोनों ने टांगों पर टांगें रख लीं और उनके लण्ड एकदम चिपक कर आमने सामने हो गये। लण्ड से लण्ड टकरा गया और पेल्हड़ से पेल्हड़।
मैंने दोनों लण्ड एक साथ अपनी दोनों हाथ की मुठ्ठी में लिया और मस्ती से हिलाने लगी। उनके सुपाड़े चाटने लगी और फिर दोनों लण्ड एक दूसरे से लड़ाने लगी. अब दोनों लाँड़ बिलकुल साँड़ की तरह लड़ने लगे। मुझे यह देख कर मज़ा आने लगा। मैं तारिक़ के लण्ड से फहीम के लण्ड को मारती और कभी फहीम के लण्ड से तारिक़ के लण्ड को मारती। कभी सुपाड़े को सुपाड़े पर रगड़ती। वो दोनों भी खूब एन्जॉय करने लगे। फिर मैंने पर्श से दो कंडोम निकाले और दोनों लण्ड पर चढ़ा दिया। इस तरह दोनों लण्ड मिलकर एक महा लण्ड बन गया। मैं इस महा लण्ड पर बैठ गयी तो दोनों लण्ड एक साथ मेरी चूत में घुस गए। मैं उनके ऊपर धीरे धीरे कूदने लगी। लण्ड बार बार बुर के अंदर लेती और फिर बाहर निकाल देती । इससे उन्हें भी मज़ा आने लगा और मुझे भी। फहीम बोला भाभी जान इस तरह तो आजतक मुझसे किसी से नहीं चुदवाया। ये तो बड़ा मजे दार तरीका है। तारिक़ भी बोला हां भाभी जान तुम तो चुदाने में बड़ी एक्सपर्ट हो। चुदाई के नए नए तरीकेआतें हैं तुम्हें। खूब मज़ा लेती हो तुम चुदवाने के ?
मैंने कहा ये सब मैंने ब्लू फिल्म से सीखा है। मुझे ब्लू फिल्म देखने का और उसी तरह चुदवाने का बड़ा शौक है। वैसे मेरे मुसलमानी समाज में कोई कंडोम इस्तेमाल नहीं करता लेकिन मैं कंडोम अपने पर्श में रखती जरूर हूँ क्योंकि मुझे कई बार नॉन मुस्लिम लण्ड से भी चुदवाने का मौक़ा मिलता है। फिर मैं फहीम का लण्ड चूसते हुए तारिक़ से चुदवाने लगी और फिर तारिक़ का लण्ड चूसते हुए फहीम से चुदवाने लगी। दोनों ने मुझे बारी बारी से खूब चोदा। मैं इन दोनों से पीछे से भी चुदवाया और लण्ड पर बैठ कर भी चुदवाया। मैंने मन में कहा मुझे तो लगता ही की आज ही मेरी असली सुहागरात हुई है। जब दोनों लण्ड एक एक करके झड़ने लगे तो में झड़ते हुए लण्ड पिये। उनका सारा वीर्य पी गयी मैं और फिर सुपाड़ा चाट चाट कर मज़ा लिया। मुझे लण्ड का वीर्य पीना अच्छा लगता है इससे मेरी ख़बसूरती बढती रहती है। मुझे किसी का भी लण्ड पीना बड़ा अच्छा लगता है और मैं हमेशा किसी न किसी का लण्ड पीने के फ़िराक में रहती हूँ।
मैं चुदवा के उठी थी पर नंगी थी। वो दोनों भी अभी नंगे ही थे। उनके लण्ड ठंढे हो चुके थे। फिर हम सबने खाना खाया और कुछ देर तक हम लोग बात चीत करते रहे और फिर मैंने लण्ड सहलाना शुरू किया तो लण्ड धीरे धीरे खड़े होने लगे। रात का समय था और रात में औरतें जाने क्यों सब की सब रंडी हो जातीं हैं। इतने में मेरी सास कमरे में आ गयी। उसने मुझे दोनों लण्ड हिलाते हुए देख लिया। उसकी नज़र सबसे पहले लण्ड पर पड़ी तो वह बोली हाय दईया इतने बड़े बड़े लण्ड बहू रानी ? तेरी माँ का भोसड़ा बहू रानी। तेरी बुर चोदी नन्द की माँ की चूत ? सास ने एक ही बार में सबको गरिया डाला। फिर वह अपने बेटे तारिक़ का लण्ड पकड़ कर बोली हाय अल्ला कितना बड़ा और कितना प्यारा लौड़ा हो गया है मेरे बेटे का ? ये तो बिलकुल मरद बन गया है मुझे इसका पता ही नहीं चला। देखो न बहू रानी इसका लण्ड भोसड़ा चोदने वाला हो गया है। और ये इसके दोस्त का लण्ड बाप रे बाप कितना मोटा और कितना सख्त है बहन चोद।बेटा फहीम तुम अपने दोस्त की माँ का भोसड़ा चोदो न। तेरा लण्ड देख कर मैं चुदासी हो गयी हूँ।
सास ने तो उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया। तब तक उसके पीछे एक लड़की नंगी नंगी आई और उसने तारिक़ का लण्ड अपने मुंह में भर लिया। बाद में मालूम हुआ की वह मेरी जेठानी की बहन है और अपने जीजू का लण्ड पी कर आई है। तब तक मेरी नन्द आ गई। वह मुझे नंगी नंगी ही मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर ले गई और बोली भाभी चलो मैं तुम्हें एक चीज दिखाती हूँ। जब मैं उसके साथ बाहर एक बदफे कमरे में गई तो देखा की याहं तो बड़ी घनघोर चुदाई हो रही है। कई लोग चोद रहे हैं। कई लोगों की बुर चुद रही है। तब नन्द ने बताया की भाभी जान देखो न मेरा अब्बू अपनी बड़ी बहू की बुर चोद रहा है। मैं ये देख कर दंग रह गयी। मेरी जेठानी बड़ी शिद्दत से अपने ससुर से चुदवा रही थी। नन्द ने फिर कहा और ये देखो मेरा खालू मेरी फूफी की बेटी चोद रहा है। फूफा खाला की बेटी चोद रहा है। तेरी देवरानी अपने भाई जान से चुदवा रही है. मेरे चचा जान की बेटी अपने ससुर से चुदवा रही है।
इन सबकी बुर एक साथ चुद रही है तो बड़ा मज़ा आ रहा है। मैं समझ गयी की मेरी ससुराल में खूब धड़ल्ले से चुदाई होती है। तब तक नन्द ने अपने मियां का लौड़ा मुझे पकड़ा दिया और बोली लो भाभी अब तुम मेरे मियां से चुदवाओ। यही सके सामने पियो मेरे मियां का लण्ड और फिर पेलो इसका लौड़ा अपनी चूत में। मैंने कहा तो फिर तू क्या करेगी मेरी बुर चोदी नन्द रानी। वह बोली मैं अपने चचा जान से चुदवाऊंगी। मैंने दो साल से अपने चचा जान का लण्ड अपनी चूत में नहीं पेला जबकि इसका लण्ड मुझे बहुत पसंद है। आज मैं इससे झमाझम चुदवाऊंगी और तेरी बुर मेरे मियां से चुदती हुई देखूँगी। फिर क्या मेरे नंदोई ने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठा। उधर नन्द भी मेरे सामने अपने चचा जान का लण्ड मुंह में भर कर चूसने लगी।
मैं अपने आपको बड़ी नसीब वाली समझने लगी। जहाँ एक दुल्हन अपने मियां के अलावा किसी और मरद का लण्ड देखने के लिए महीनो बर्षों तड़पती रहती है वहां मैं अपनी शादी के ३/४ दिन में ही अपने ससुराल के इतने सारे लण्ड एक साथ देख रही हूँ। मुझे तो नये नये लण्ड देखने का, लण्ड पकड़ने का और लण्ड पीने का बड़ा शौक है। मुझे तो लगा की जैसे की मेरे लिये लण्ड की लाटरी खुल गयी है। अब तो मैं किसी का भी लण्ड कभी भी हाथ बढ़ाकर पकड़ सकती हूँ। ये सब भोसड़ी वाले मेरे आगे नंगे नंगे घूम रहें हैं तो फिर मुझे इनसे शर्म किस बात की ? और फिर मैं भी तो इन सबके आगे नंगी हूँ। अभी एक एक करके सबके लण्ड पेलूँगी अपनी चूत में तो मैं भी एक मंजी हुई रंडी बन जाऊंगी। फिर मुझे अपनी बुर चोदी नन्द की बुर और सास का भोसड़ा चोदने में ज़न्नत का मज़ा आएगा।
मैं अपने नंदोई का लण्ड मुंह में लेकर चूसने लगी और मेरी नन्द अपने चचा जान का लौड़ा चाटने लगी। मैं भी
हाथ बढ़ाकर उसके पेल्हड़ सहलाने लगी। उसे मालूम हो गया की मैं भी उससे चुदवाने के लिए तैयार हूँ। वह मेरी चूत सहलाने लगा और नंदोई मेरी चूँचियाँ मसलने लगा। दोनों ही लण्ड बिना झांट के थे और लम्बे चौड़े थे। मुझे दोनों ही लंड एक नज़र में भा गये। इतने में नंदोई ने लण्ड पेल दिया मेरी बुर में। मैं चिल्ला उठी उई माँ फाड़ डाला मेरी बुर। बड़ा मोटा है तेरा लण्ड ? चुद गयी मेरी यार। धीरे धीरे चोदो न। मैं कभी भागी नहीं जा रही हूँ। अच्छी तरह चुदवाकर ही जाऊंगी। तब तक मेरी नन्द बोली हाय चचा जान तेरा लौड़ा मेरी चूत का बाजा बजा रहा है। तेरा लौड़ा तो साला बड़ा सख्त है। तू भोसड़ी का मेरी अम्मी की बुर चोदता है और आज उसकी बेटी की बुर भी चोद रहा है। तेरा जैसे हरामी आदमी दूसरा कोई नहीं होगा।
मैंने सुना है की तू अपनी बेटी की बुर भी लेता है ? वह बोला हां लेता हूँ। वह देती है तो मैं लेता हूँ। मेरी बेटी भी तेरी ही तरह बहुत बेशरम और चुदक्कड़ लड़की है। वह तो मेरे दोस्तों के भी लण्ड अपनी चूत में पेलती है तो फिर मैं क्यों न पेलूं ? मेरी नज़र अपने चचिया ससुर के लण्ड पर टिकी थी। मैं चुदवा तो रही थी नंदोई से पर देख रही थी अपने चचिया ससुर का लण्ड। उसका काला लण्ड मेरी जान ले रहा था। मैं बहुत गोरी हूँ और गोरी औरत को काला लण्ड बड़ा अच्छा लगता है। तब तक मेरी नन्द का खालू आ गया। वह भी मादर चोद नंगा था। उसका भी लण्ड टन टना रहा था। उसने लण्ड नन्द के कंधे पर रख दिया। नन्द उसका भी लण्ड चाटने लगी. तब तक उसकी फूफी की बेटी आ गयी। उसने मेरे हाथ से नंदोई का लण्ड ले लिया और बोली भाभी जान अब मुझे अपने भाई जान से चुदवाने दो। मैंने उसे नंदोई का लण्ड दे दिया और मैं चचिया ससुर का लण्ड अपनी नन्द से ले लिया और उसे चूसने लगी।
सुहागरात रात में पति ने दोनों छेद चोदे
मेरे मन की इच्छा पूरी हो रही थी। मुझे काले लण्ड का मज़ा मिलने लगा। मैं पहली बार किसी काले लण्ड से खेल रही थी। लण्ड पूरे नंगे बदन पर फिरा रही थी खास तौर से अपनी चूँचियों पर। बीच बीच में मैं लण्ड का सुपाड़ा चाट रही थी। लण्ड साला बिलकुल पोर्न स्टार के लण्ड की तरह लग रहा था और मैं अपने आपको ब्लू फिल्म की हीरोइन समझने लगी। फिर मैंने लण्ड अपनी चूत में पेला और धकाधक चुदवाने लगी। वह बोला बहू आज मुझे किसी नई ताज़ी बहू की नई ताज़ी बुर चोदने को मिली है। आज मैं खूब जी भर के तेरी बुर चोदूंगा। वह चोदने की स्पीड बढ़ाता गया और मैं अपनी गांड उठा कर हर धक्के का जबाब धक्के से देती गयी।
कुछ देर में मुझे एहसास हुआ की ससुर का लण्ड झड़ने वाला है और इधर मैं भी करीब आ चुकी थी। तब तक उसने मुझे अपने लण्ड पर बैठा लिया। लण्ड पूरा मेरी बुर में घुसा हुआ था। वह नीचे से धक्के मारने लगा और मैंभी ऊपर से कूदने लगी। इतने में लण्ड ने उगल दिया वीर्य। थोड़ा मेरी चूत में लगा थोड़ा मेरी गाड़ में। मैं फिर घूम गयी और झाड़ता हुआ लण्ड चाटने लगी। मुझे लण्ड का वीर्य चाटने का बड़ा अच्छा लगता है। हर लण्ड का स्वाद अलग अलग होता है। खलास मैं भी हो गयी थी। मैं बाथ रूम गयी और वहां से फ्रेश होकर आ गई। मैं मस्ती से सबकी चुदाई देख रही थी। पूरे घर में चुदाई ही चुदाई हो रही थीं। सब भोसड़ी वाली लण्ड अदल बदल कर चुदवा रहीं थीं।
तभी अचानक मेरी फुफिया सास का बेटा नंगा नंगा अपना लण्ड मुझे दिखाते हुए बोला लो भाभी जान मेरा भी लण्ड पियो।
मैंने कहा हां देवर जी जरूर पियूँगी। तेरा भी लण्ड पियूँगी और तेरे बाप का भी लण्ड पियूँगी।